जन्मकुंडली पढ़ने का सबसे आसान तरीका, Easiest way to read horoscope

कुंडली से भाग्य कैसे जाने? मेरी जन्म कुंडली में क्या लिखा है? कुंडली में चरित्र कैसे देखें? क्या कुंडली सच होती है?
जन्मकुंडली का ध्यानपुरवक अध्ययन करने के लिए कुछ मौलिक सूत्र प्रस्तुत है, यदी इनके आधार पर जन्मकुंडली का अध्ययन किया जाएगा, तो फलकथन निश्चय ही और प्रमाणिक सिद्ध होगा!
1. जन्म कुंडली में जो ग्रह जिस राशि में होता है, यदी नवमांश में भी वह ग्रह उसी राशि में हो, तो वर्गोत्तम ग्रह कहलाता है! ऐसा गृह पूर्ण बलवान माना जाता है और वह श्रेष्ठ फल देने में सहायक होता है! कुंडली देखे कुंडली देखना कैसे सीखें
2. दशम भाव में सूर्य और मंगल बलवान माने जाते हैं,इसी प्रकार चतुर्थ भाव में चंद्र और शुक्र, लगन में बुध और गुरु तथा सप्तम भाव में शनि बलवान होते हैं तथा श्रेष्ठ फल देते हैं।
3.शुभ ग्रह जिस भाव में बैठे हो या जिस भाव पर उनकी आंखें हो, वे उस भाव को शुभफल प्रदान करने में सहायक होते हैं!
4.लगन का स्वामी जिस भाव में भी स्थिति होता है, उस भाव की वृद्धि करता है !
5. अष्टम भाव में सभी गृह निर्बल होता है, परंतु सूर्य या चंद्रमा अष्टम भाव में होने पर भी निर्बल नहीं होते!
6.दो भावो का स्वामी ग्रह, अपनी दशा में आने पर लगन से गिरने पर पहले आने वाली राशि का फल ही पहले प्रदान करता है!
7.हर भाव का एक विशेष कारक ग्रह होता है, याद कारक ग्रह अपने ही भाव में बैठा हो या उस भाव पर उसकी पूर्ण दृष्टि हो, तो वह श्रेष्ठ फल देने में सहायक होता है!
8.वक्री गृह अधिक बलवान हो जाता है और जन्मकुंडली में जिस भाव का स्वामी होता है, उस भाव को विशेष बल प्रदान करता है! हर भाव का कारक ग्रह आगे व्याख्या की गई है! कुंडली देखना कैसे सीखें
- grih sambandhit karak bhav
- surya pahla or 9th bhav
- chandrma 4th bhav
- mangal 3rd, 6th bhav
- budh 4th, 10th bhav
- guru 2nd or 5th, 9th, 10th , 11th bhav
- shukr 7th bhav
- shani 6th, 8th,10th,12th bhav
9. हर ग्रह का विशेष प्रभाव होता है, इसिलिए कुंडली पर विचार करते समय संबंधित कारक ग्रह
के कारकत्व पर भी ध्यान देना चाहिए!
- grih sambandhit karkatva
- surya aatma, pita, prabhav, swasthya, shakti, or laxmi
- chandra man, budhi, rajy-kripa, mata or sampati
- mangal saahas, rog, gun, chota bhai, bhumi, tatha shatru
- budh vidha, bandhu, vivek, mitra, vaani, or karya-chamta
- guru dhan, sharir, gyaan, putra, deh or saundarta
- shukra patni, vaahan, aabhushan, prem, sukh, pyaar
- shani aayu, jivika, nokri, mrityu ka karan, tatha vipatti
- rahu dada
- ketu nana
भविष्य कथन करते समय भव, भाव का स्वामी तथा कारक ग्रहा पर विचार कर लेना चाहिए,उदाहरण: संतान का विचार करते समय जन्मकुंडली के 5वे भaव, पंचम भाव के स्वामी तथा संतान के कारक ग्रह गुरु पर भी विचार करना चाहिए! कुंडली देखना कैसे सीखें
- raashi swami
- mesh mangal
- vrish shukr
- mithun budh
- kark chandra
- singh surya
- kanya budh
- tula shukra
- vrischik mangal
- dhanu brihspati(guru)
- makar shani
- kumbh shani
- min brihspari (guru)
शुभग्रह:
चंद्र, बुद्ध, शुक्र, केतु, गुरु, शुभ ग्रह माने जाते हैं! कुंडली देखना कैसे सीखें
पापग्रह:
सूर्य, मंगल शनि, तथा राहु क्रम से अधिकाधिक पाप ग्रह माने गए हैं, सूर्य से मंगल अधिक पाप ग्रह है, मंगल से शनि और शनि से राहु अधिक पाप ग्रह है, किसी के आचार्य ने क्षिन चंद्र को भी पाप ग्रह माना है! कुंडली देखना कैसे सीखें
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जातक की कुंडली का अध्ययन करते समय यह बात भी ध्यान रखे की जातक की कुंडली में कौन से ग्रह उच के है या कौन से नीच के है
उचगृह
- grih raashi ansh
- surya mesh 10 ansho tak
- chandra vrish 3 ansho tak
- mangal makar 28 ansho tak
- budh kanya 15 ansho tak
- brihspati (guru) kark 5 ansho tak
- shukra min 27 ansho tak
- shani tula 20 ansho tak
- raahu mithun 15 ansho tak
- ketu dhanu 15 ansho tak
नीचग्रह:
- grih raashi ansh
- surya tula 10 ansh tak
- chandra vrischik 3 ansho tak
- mangal kark 28 ansho tak
- budh min 15 ansho tak
- brihspati makar 5 ansho tak
- shukra kanya 27 ansho tak
- shani mesh 20 ansho tak
- raahu dhanu 15 ansho tak
- ketu mithun 15 ansho tak
ग्रहो का मैत्री विचार:
ग्रहो का मैत्री चक्र
ग्रह | मित्र | शत्रु |
---|---|---|
सूर्य | चन्द्र, मंगल, गुरू | शनि, शुक्र |
चन्द्रमा | सूर्य, बुध | कोई नहीं |
मंगल | सूर्य, चन्द्र, गुरू | बुध |
बुध | सूर्य, शुक्र | चंद्र |
गुरू | सुर्य, चंन्द्र, मंगल | शुक्र, बुध |
शुक्र | शनि, बुध | शेष ग्रह |
शनि | बुध, शुक्र | शेष ग्रह |
राहु, केतु | शुक्र, शनि | सूर्य, चन्द्र, मंगल |
यह तालिका बहुत महत्वपूर्ण है और इसे भी याद करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यह तालिका बहुत बडी लगे तो डरने की कोई जरुरत नहीं। तालिका समय एवं अभ्यास के साथ खुद व खुद याद हो जाती है। मोटे तौर पर वैसे हम ग्रहो हो दो भागों में विभाजित कर सकते हैं जो कि एक दूसरे के शत्रु हैं – कुंडली देखना कैसे सीखें
भाग 1 – सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु
भाग 2 – बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु
यह याद रखने का आसान तरीका है परन्तु हर बार सही नहीं है। ऊपर वाली तालिका याद रखें तो ज्यादा बेहतर है।
मित्र-शत्रु का मतलब यह है कि जो ग्रह अपनी मित्र ग्रहों की राशि में हो एवं मित्र ग्रहों के साथ हो वह ग्रह अपन शुभ फल देगा। इसके विपरीत कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह की राशि में हो या शत्रु ग्रह के साथ हो तो उसके शुभ फल में कमी आ जाएगी। best astrologer in punjab, best astrologer in moga, best astrologer in jalandhar, best astrologer in india astrologerpravin call +91-7742454565 provides free astrology services.
note: ( जन्मकुंडली पढ़ने का सबसे आसान तरीका, जारी रहेगा, मिलेंगे अगली पोस्ट में नमस्कार जी!) astrologer in jalandhar punjab
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